पुणे की एक सेशन कोर्ट ने 19 मई को हुई पोर्शे हिट-एंड-रन मामले में छह आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि जमानत देने से समाज में गलत संदेश जा सकता है। इस घटना में शामिल सभी आरोपियों पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप है। इनमें एक नाबालिग लड़के के माता-पिता भी शामिल हैं, जिन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट ने 25 जून को जमानत दे दी थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश यूएम मुधोलकर ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान सभी छह आरोपियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि “यह घटना एक बड़ी साजिश का हिस्सा है, जिसमें न सिर्फ आरोपी, बल्कि उनके साथ जुड़े कुछ अन्य लोग भी शामिल हैं।”
घटना का विवरण
19 मई को पुणे के कल्याणीनगर इलाके में हुई इस दुर्घटना में दो टेक्नोलॉजी पेशेवर – अनीस अवधिया और अश्विनी कोश्टा – जो मोटरसाइकिल पर यात्रा कर रहे थे, तेज़ रफ्तार पोर्शे कार की चपेट में आ गए थे। दुर्घटना के वक्त कार की गति 200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक थी, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।
इस घटना के बाद से ही पूरे देश में हंगामा मच गया था। आरोपी नाबालिग के माता-पिता और अन्य सहयोगियों पर घटना के बाद सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप है, जिसमें मुख्य रूप से आरोपी का ब्लड सैंपल बदलने की साजिश शामिल थी।
सबूतों से छेड़छाड़ और न्यायालय की कड़ी टिप्पणी
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि घटना के तुरंत बाद ही आरोपियों ने ब्लड सैंपल को बदलने के लिए एक बड़ी साजिश रची। आरोप है कि नाबालिग के माता-पिता ने तीन लाख रुपये देकर सरकारी अस्पताल के दो चिकित्सकों से मिलकर अपने बेटे के ब्लड सैंपल को उसकी मां के सैंपल से बदलवा दिया।
न्यायाधीश ने इसे “रातोंरात रची गई साजिश” बताया और कहा कि आरोपियों का यह कृत्य न्याय के लिए घातक है।
न्याय का बाधक बन सकता है जमानत
अदालत ने बचाव पक्ष के वकीलों की उन दलीलों को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि आरोपियों के पास इलेक्ट्रॉनिक या दस्तावेजी साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने का अवसर नहीं था। न्यायाधीश ने कहा कि “इतनी गंभीर घटना में, यदि आरोपियों को इस समय जमानत दी जाती है, तो साक्ष्यों से छेड़छाड़ हो सकती है, जिससे पीड़ितों, उनके परिवार और समाज को न्याय से वंचित कर दिया जाएगा।”
समाज के लिए एक कड़ा संदेश
अदालत ने यह भी कहा कि “जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा और यह संदेश जाएगा कि पैसे और ताकत के दम पर कोई भी कानून से खेल सकता है।”
अदालत के इस निर्णय से यह स्पष्ट है कि न्यायालय इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है और न्याय की प्रक्रिया में किसी भी तरह की बाधा को बर्दाश्त नहीं करेगा। इस निर्णय से एक मजबूत संदेश गया है कि कानून का पालन सभी के लिए समान है, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो।
पुणे पोर्शे हिट-एंड-रन मामला समाज के लिए एक उदाहरण है कि कैसे कुछ लोग पैसे और प्रभाव का इस्तेमाल करके न्याय को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश करते हैं। लेकिन न्यायालय ने इस घटना में जो निर्णय लिया है, वह यह स्पष्ट करता है कि न्याय के रास्ते में कोई भी बाधा नहीं आ सकती।
इस घटना से संबंधित सभी आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है, और यह निर्णय समाज के लिए एक सख्त संदेश है कि कानून के सामने सभी समान हैं।
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