कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त 2024 को एक महिला चिकित्सक की बलात्कार और हत्या की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। यह घटना न केवल चिकित्सा समुदाय बल्कि पूरे समाज के लिए एक बुरे सपने की तरह उभर कर आई है। इस घटना के बाद, मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने न्याय की मांग करते हुए हड़ताल शुरू कर दी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
घटना कैसे घटी?
रात में ड्यूटी पूरी करने के बाद, 31 वर्षीय पीजीटी डॉक्टर (पदव्युत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक) अस्पताल के सेमिनार हॉल में सोने के लिए चली गईं, क्योंकि अस्पताल में आराम करने की जगह सीमित थी। अगली सुबह, उनका शव अर्धनग्न अवस्था में सेमिनार हॉल में पाया गया। प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बलात्कार और हत्या की पुष्टि हुई, जिससे साफ़ हो गया कि यह कोई आत्महत्या नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित अपराध था।
ऑटोप्सी और जांच के खुलासे
ऑटोप्सी रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर के शरीर पर कई चोटों के निशान थे, जो यह संकेत देते हैं कि अपराध बेहद क्रूरता से किया गया था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि डॉक्टर के शरीर से 151 मिलीग्राम द्रव (वीर्य) का नमूना मिला, जो एक से अधिक व्यक्तियों के शामिल होने की संभावना को दर्शाता है। डॉक्टर सुभ्र गोंस्वामी ने एक इंटरव्यू में कहा कि इस प्रकार की चोटें एक व्यक्ति के द्वारा नहीं हो सकतीं, जिससे सामूहिक बलात्कार की संभावना प्रबल होती है।
आरोपी की गिरफ्तारी
पुलिस ने 33 वर्षीय संजय रॉय नामक एक नागरिक स्वयंसेवक को इस अपराध में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि संजय अस्पताल के विभिन्न विभागों में अपनी पहुंच रखता था और अपराध के समय वह नशे की हालत में था। सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर उसकी गिरफ्तारी की गई। हालांकि, अब तक की जांच में कई सवाल खड़े हुए हैं, जिनका जवाब देना अभी बाकी है।
समुदाय और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घटना ने मेडिकल समुदाय और राजनीतिक दलों के बीच व्यापक रोष पैदा किया है। जूनियर डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया और मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की। विपक्षी दलों ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायिक जांच की मांग की है। इसके अलावा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से दो हफ्तों में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
सरकारी और न्यायिक कार्रवाई
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई का वादा किया है। उन्होंने दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की है और राज्य सरकार ने अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए पुलिस कैंप स्थापित किए हैं। हालांकि, जांच की धीमी गति और संदिग्ध अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न होने के कारण उच्च न्यायालय ने इस मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया है। सीबीआई की एक विशेष टीम ने घटनास्थल पर जांच शुरू कर दी है, जिसमें फोरेंसिक और चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल हैं।
निष्कर्ष
कोलकाता डॉक्टर बलात्कार-हत्या केस ने देश में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय प्रणाली की कमजोरियों को एक बार फिर उजागर कर दिया है। इस घटना ने न केवल चिकित्सा क्षेत्र में बल्कि समाज के हर तबके में गहरी चिंताएं उत्पन्न की हैं। यह घटना याद दिलाती है कि देश में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय की आवश्यकता को और मजबूत बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।