भारत में राजनीति के लिए यह साल बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। 2024 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रदर्शन को एक बार फिर मजबूती से दर्ज किया है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनावों के एग्ज़िट पोल के नतीजों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी हरियाणा में जीत की ओर बढ़ रही है जबकि जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा बनने की संभावना है।
हरियाणा में कांग्रेस की वापसी
हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के एग्ज़िट पोल के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी को सत्ता में वापसी मिलती दिख रही है। दस वर्षों तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन के बाद, कांग्रेस को इस बार 90 में से 55 सीटें जीतने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे वह आसानी से 45 सीटों के बहुमत के निशान को पार कर जाएगी।
एग्ज़िट पोल के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा हरियाणा में 27 सीटें जीत सकती है, जो बहुमत से काफी दूर है। कुछ एग्ज़िट पोल में भाजपा के लिए 37 सीटों तक की संभावना जताई गई है, लेकिन फिर भी यह कांग्रेस से पीछे रहने की भविष्यवाणी है। इनेलो (इंडियन नेशनल लोक दल) को 2 सीटें मिलने की उम्मीद है, जबकि भाजपा की पूर्व सहयोगी जजपा (जननायक जनता पार्टी) केवल 1 सीट पर सिमट सकती है। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली और पंजाब में शासन करने वाली आम आदमी पार्टी हरियाणा में अपना खाता भी नहीं खोल पाएगी, यह एग्ज़िट पोल बताते हैं।
जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना
जम्मू-कश्मीर में लगभग 10 वर्षों के बाद विधानसभा चुनाव हुए, और यहाँ एग्ज़िट पोल में एक त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की गई है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का गठबंधन 43 सीटें जीत सकता है, जो बहुमत के 46 सीटों से सिर्फ 3 सीटें पीछे है। भाजपा को यहाँ भी 27 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।
पूर्व सहयोगी पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) की 7 सीटें जीतने की उम्मीद है। पीडीपी के नेता महबूबा मुफ्ती ने चुनाव से पहले NC-कांग्रेस गठबंधन को यह प्रस्ताव दिया था कि यदि वे कश्मीर मुद्दे पर उनके एजेंडे का समर्थन करते हैं, तो पीडीपी चुनाव में नहीं उतरेगी, लेकिन इस प्रस्ताव को गठबंधन ने स्वीकार नहीं किया।
नई राजनीतिक संभावनाएँ
जम्मू-कश्मीर की इस संभावित त्रिशंकु विधानसभा के परिणामस्वरूप छोटी पार्टियाँ और निर्दलीय विधायक सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पीडीपी, जिसने पहले भाजपा के साथ गठबंधन किया था, अब एक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के विचार की बात कर रही है। हालाँकि, NC और PDP के बीच ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता इस गठबंधन के रास्ते में एक बड़ी बाधा है।
2014 में भाजपा और पीडीपी के बीच गठबंधन हुआ था, लेकिन 2018 में यह टूट गया, और उसके बाद जम्मू-कश्मीर राष्ट्रपति शासन के तहत आ गया था। 2019 में, जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था, लेकिन अब भाजपा ने वादा किया है कि वह अपने तीसरे कार्यकाल में इसे फिर से राज्य का दर्जा दिलाएगी।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों का महत्व
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव परिणाम केवल इन राज्यों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है। हरियाणा में कांग्रेस की संभावित जीत, जहां किसानों के मुद्दे हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं, केंद्र सरकार और भाजपा के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां कृषि और किसान आंदोलन का प्रभाव रहा है।
जम्मू-कश्मीर की स्थिति और भी संवेदनशील है, जहाँ अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव था। यहाँ त्रिशंकु विधानसभा बनने से क्षेत्र की राजनीतिक स्थिरता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है, और आने वाले दिनों में गठबंधन सरकार की संभावनाएँ उभर सकती हैं।
एग्ज़िट पोल के नतीजे हमेशा सटीक नहीं होते, लेकिन वर्तमान संकेतों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी हरियाणा में एक बड़ी जीत दर्ज करने जा रही है, जबकि जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनने की संभावना है। इन दोनों राज्यों के चुनाव न केवल राज्यों की राजनीति को प्रभावित करेंगे, बल्कि केंद्र की राजनीति पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।
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