चीन ने भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में चार साल से चल रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के समझौते की पुष्टि की है। यह समझौता दोनों देशों के बीच कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं का परिणाम है, जो लद्दाख क्षेत्र में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया। यह विकास ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले आया, जहां भारत और चीन के नेताओं ने सीमा पर शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई थी।
लद्दाख गतिरोध का पृष्ठभूमि
2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच सीमा पर स्थिति गंभीर हो गई थी। इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, और उसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी। इसके बाद से लगातार सीमा पर तनाव बना रहा, विशेषकर पूर्वी लद्दाख के क्षेत्रों जैसे देपसांग और डेमचोक में।
समझौते के मुख्य बिंदु
- सेना की वापसी: चीन और भारत की सेनाओं के बीच सहमति बनी है कि वे पूर्वी लद्दाख में अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाएंगे, जिससे इलाके में शांति बहाल हो सके।
- नियंत्रण रेखा पर गश्त की बहाली: समझौते के तहत भारतीय और चीनी सैनिक फिर से उसी प्रकार से गश्त करेंगे, जैसे वे 2020 से पहले करते थे। इससे दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा और सीमा पर सामान्य स्थिति बहाल होगी।
- कूटनीतिक प्रयास: पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के राजनयिक और सैन्य अधिकारियों ने लगातार बातचीत की, जिसके परिणामस्वरूप यह समझौता हुआ है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसे एक “महत्वपूर्ण उपलब्धि” बताया, जो कई दौर की बातचीत और धैर्य का नतीजा है।
समझौते का महत्व
यह समझौता भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के हल की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और राजनीतिक संबंधों में सुधार की संभावना बढ़ी है, जो गलवान संघर्ष के बाद से ठप पड़े थे।
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस समझौते को “सकारात्मक विकास” बताया और उम्मीद जताई कि भविष्य में सीमा पर स्थिति सामान्य हो सकेगी। उनका कहना था कि 2020 से पहले जैसी शांति और स्थिरता फिर से बहाल करने की दिशा में यह एक प्रमुख कदम है।
हालांकि यह समझौता एक बड़ा कदम है, लेकिन कुछ विवादित क्षेत्र, जैसे देपसांग और डेमचोक, अभी भी पूरी तरह से सुलझाए नहीं गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में इन क्षेत्रों पर भी और वार्ता की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ाने और सैन्य विवादों को स्थायी रूप से हल करने की दिशा में यह पहला कदम माना जा सकता है।
भारत और चीन के बीच लद्दाख में लंबे समय से चले आ रहे तनाव को समाप्त करने की दिशा में यह समझौता एक ऐतिहासिक कदम है। दोनों देशों के बीच फिर से सीमा पर शांति स्थापित होने की संभावना है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हो सकेगा। हालांकि, अभी भी कुछ चुनौतियां बरकरार हैं, जिन पर भविष्य में ध्यान दिया जाएगा।
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