15 अगस्त, 2024 को पश्चिम बंगाल के झारग्राम में एक दिल दहला देने वाली घटना हुई, जिसमें एक मादा हाथी की निर्मम हत्या कर दी गई। स्थानीय लोगों के एक समूह ने हाथी को आग में झोंक दिया, जिससे वह दर्दनाक रूप से तड़पती हुई मौत के घाट उतर गई। यह घटना तब हुई जब एक हाथी ने एक स्थानीय निवासी को मार डाला था, जिसके बाद भीड़ ने बदले की भावना से इस हाथी को जलाने का प्रयास किया।
सुबह के समय, झारग्राम के एक आवासीय क्षेत्र में हाथियों का एक झुंड प्रवेश कर गया। इसमें एक टस्कर (नर हाथी), दो मादा हाथी, एक बछड़ा और एक किशोर हाथी शामिल थे। इस हाथी समूह के कारण वहां काफी हंगामा मच गया। एक मादा हाथी को जलते हुए लोहे की छड़ से मार दिया गया। इस दर्दनाक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें हाथी को तड़पते हुए देखा गया।
On August 12, #India celeberated #WorldElephantDay2024 & heard a lot from @moefcc on all the great things v have done for #elephants.
I would like to hear from @moefcc and @ForestDeptWB
now on the horrific harassment, torture and killing of an #elephant in #Jhargam #WestBengal… pic.twitter.com/KTTzAdStrG— prerna singh bindra 🐘🐅🐾 (@prernabindra) August 17, 2024
हाथी-मानव संघर्ष की चुनौती
इस घटना ने मानव-हाथी संघर्ष की गंभीरता को उजागर किया है। पश्चिम बंगाल में इस प्रकार की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। इस क्षेत्र में 26 हाथी गलियारे हैं, जो इन संघर्षों का केंद्र बने हुए हैं। स्थानीय ‘हुल्ला पार्टी’ जो कि आम तौर पर हाथियों को भगाने का काम करती है, इस बार कानून की सीमाओं को पार कर गई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में जलते हुए टॉर्च और अन्य हिंसक उपायों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसके बावजूद इनका उपयोग किया गया, जिससे हाथी की मौत हो गई।
सरकारी कार्रवाई और भविष्य की दिशा
केंद्र सरकार ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए पश्चिम बंगाल के मुख्य वन्यजीव वार्डन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषियों को सख्त सजा मिले और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे संघर्षों को कम करने के लिए नए नियमों और प्रशिक्षण की आवश्यकता है ताकि हाथी और मानव दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
भारत में बढ़ते हाथी-मानव संघर्ष के मद्देनजर सरकार ने हाथियों के लिए नए गलियारों की पहचान की है, जिनका उद्देश्य हाथियों को सुरक्षित आवास क्षेत्रों में स्थानांतरित करना है। पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 26 हाथी गलियारे हैं, जो हाथियों की सुरक्षित आवाजाही में मदद करते हैं।
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