पूर्व महाराष्ट्र गृहमंत्री अनिल देशमुख ने सोमवार को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोपों की झड़ी लगा दी, यह दावा करते हुए कि भाजपा के वरिष्ठ नेता ने तीन साल पहले महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सत्ता में रहते हुए उद्धव ठाकरे और अजित पवार के बेटों आदित्य ठाकरे और पार्थ पवार को ‘गंदी राजनीति’ से निशाना बनाने की कोशिश की थी।
देशमुख ने पहले भी आरोप लगाया था कि फडणवीस ने एक मध्यस्थ के माध्यम से उन्हें उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, अजित पवार और अनिल परब को विभिन्न मामलों में फंसाने के लिए चार हलफनामों पर हस्ताक्षर करने के लिए संपर्क किया था। इनमें 100 करोड़ रुपये की उगाही का मामला, दिशा सालियान की मौत का मामला, भ्रष्टाचार का मामला और अवैध गुटखा व्यापारियों से पैसे वसूलने का मामला शामिल था।
देशमुख ने दावा किया कि फडणवीस के करीबी और जन सुराज्य शक्ति पार्टी के नेता समीत कदम ने तीन साल पहले भाजपा नेता का संदेश लेकर उनसे संपर्क किया था। कदम ने फडणवीस के निर्देश पर तैयार हलफनामों को लाने का दावा किया और देशमुख से उन पर हस्ताक्षर करने को कहा। देशमुख ने इसे ठुकरा दिया।
फडणवीस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि उनके पास देशमुख की ठाकरे और शरद पवार के खिलाफ बोलते हुए ऑडियो-वीडियो क्लिप हैं। उन्होंने धमकी दी कि अगर उन पर झूठे आरोप लगाए गए, तो वह इन क्लिपों को सार्वजनिक कर देंगे।
देशमुख ने चुनौती दी कि फडणवीस को वीडियो क्लिप सार्वजनिक करनी चाहिए और दावा किया कि उनके पास भी अपने आरोपों का सबूत है।
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने देशमुख के आरोपों का समर्थन किया और दावा किया कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने भी देशमुख के आरोपों का समर्थन करते हुए फडणवीस को महाराष्ट्र की राजनीति का खलनायक बताया।
समीत कदम ने देशमुख के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि यह उनके और फडणवीस की छवि को खराब करने का प्रयास है। उन्होंने यह भी दावा किया कि देशमुख ने उनसे मदद मांगी थी।
यह मामला महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा रहा है, और आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसमें और भी नाटकीय मोड़ आने की संभावना है। देशमुख और फडणवीस के बीच यह टकराव राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
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