वायरस के लक्षण और प्रसार: चांदिपुरा वायरस एक वेक्टर-जनित रोग है जो मुख्य रूप से मच्छरों, टिक और सैंड फ्लाई के काटने से फैलता है। यह वायरस बुखार, फ्लू जैसे लक्षण और तीव्र मस्तिष्कशोथ (एन्सेफलाइटिस) का कारण बनता है।
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने सोमवार को कहा कि अब तक 12 संदिग्ध मामलों की पहचान हुई है, जिनमें से 6 बच्चों की मौत हो चुकी है। इन सभी के नमूने पुष्टि के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि चार मामले साबरकांठा जिले से, तीन अरावली से, एक महिसागर और एक खेड़ा जिले से, जबकि दो मामले राजस्थान और एक मध्य प्रदेश से आए हैं। इन सभी का इलाज गुजरात में हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता
हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञों ने 10 जुलाई को चार बच्चों की मौत के बाद चांदिपुरा वायरस की संभावना जताई और नमूने NIV भेजे। इसके बाद चार और बच्चों में समान लक्षण देखे गए। पटेल ने बताया कि “चांदिपुरा वायरस संक्रामक नहीं है, लेकिन प्रभावित क्षेत्रों में सघन निगरानी की जा रही है। 4,487 घरों में 18,646 लोगों की जांच की गई है। स्वास्थ्य विभाग रोग के प्रसार को रोकने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है।”
चांदिपुरा वायरस का पहली बार 1965 में महाराष्ट्र के चांदिपुरा जिले में पता चला था। यह वायरस Vesiculovirus जीनस का सदस्य है, जो Rhabdoviridae परिवार का हिस्सा है।
अतीत में, चांदिपुरा वायरस के मामले आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में देखे गए थे। यह वायरस विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित करता है और मानसून के दौरान अधिक सक्रिय होता है। गुजरात में पहले भी 2014 में ऐसे मामले सामने आए थे, जब चार बच्चों की मौत हुई थी।
सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में कीटनाशकों का छिड़काव किया है और सैंड फ्लाई के प्रजनन स्थलों को नष्ट करने के लिए साफ-सफाई की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस का त्वरित पता लगाना, अस्पताल में भर्ती करना और लक्षणों के आधार पर उपचार जीवन बचा सकता है।
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