गुलशन ग्रोवर के 69वें जन्मदिन पर जानिए उनके यादगार डायलॉग्स, बेस्ट बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों के बारे में

On Gulshan Grover's 69th birthday, know about his memorable dialogues, best Bollywood and Hollywood films
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गुलशन ग्रोवर, जिन्हें बॉलीवुड का ‘बैड मैन’ कहा जाता है, ने भारतीय सिनेमा में अपने अद्वितीय योगदान से एक अमिट छाप छोड़ी है। अपने करियर के शुरुआती दौर में 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने ऐसे किरदार निभाए जो नकारात्मक होते हुए भी दर्शकों के दिलों में जगह बना गए। चाहे वह खलनायक के रूप में उनकी अद्भुत प्रस्तुति हो या हॉलीवुड में उनकी पहचान, उन्होंने हर जगह अपनी अभिनय क्षमता से लोगों को मंत्रमुग्ध किया है। गुलशन ग्रोवर ने अब तक 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और अपनी 69वीं वर्षगांठ पर वह अभी भी फिल्मों में सक्रिय हैं। आइए उनके करियर के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं, प्रसिद्ध डायलॉग्स और बेहतरीन फिल्मों पर नज़र डालते हैं।

गुलशन ग्रोवर की शुरुवात और फिल्मी सफर

गुलशन ग्रोवर का जन्म 21 सितंबर 1955 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की। हालाँकि, उनका झुकाव शुरू से ही अभिनय की ओर था, इसलिए उन्होंने दिल्ली में थिएटर से जुड़ने का फैसला किया। फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद, उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता को लगातार निखारा और अपने करियर की शुरुवात में ही निगेटिव रोल्स में ऐसी छवि बनाई कि लोग उन्हें असल जिंदगी में भी खलनायक समझने लगे।

गुलशन ग्रोवर ने अपने करियर में मुख्य रूप से खलनायक की भूमिकाएँ निभाईं, लेकिन उनकी प्रत्येक भूमिका अलग-अलग प्रकार की थी। वह एक ही तरह के खलनायक नहीं बने, बल्कि हर किरदार में कुछ नया दिखाया। उनके किरदारों में तीव्रता, गहराई और अलग-अलग शेड्स देखने को मिले, जिससे उन्हें ‘बैड मैन’ के नाम से मशहूर कर दिया।

आइकॉनिक डायलॉग्स जो अमर हो गए

गुलशन ग्रोवर के कई डायलॉग्स इतने प्रसिद्ध हुए कि आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। उनके खलनायकी किरदारों में बोले गए ये डायलॉग्स दर्शकों के दिलों में घर कर गए। आइए, उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध डायलॉग्स पर एक नज़र डालते हैं:

  • “By God, दिल गार्डन गार्डन हो गया” (इंटरनेशनल खिलाड़ी)
    यह डायलॉग अपने मजाकिया अंदाज और गुलशन ग्रोवर की शैली में आज भी दर्शकों को गुदगुदा जाता है।
  • “आज के इस कलयुग में तुम्हारा भगवान भी इस शैतान से डरता है” (मैदान-ए-जंग)
    यह डायलॉग उनके नकारात्मक किरदार की ताकत और खौफ को दर्शाता है।
  • “तुम्हारे शरीर के पेड़ पर जवानी का फूल खिल गया” (इम्तिहान)
    यह डायलॉग उनकी असभ्य और चुटीली खलनायकी का बेहतरीन उदाहरण है।
  • “दोबारा अगर कोई चाल चलने की कोशिश की, तो मैं नहीं, मेरी AK 47 बोलेगी” (मोहरा)
    उनकी इस धमकी भरी संवाद अदायगी ने फिल्म मोहरा में उनके किरदार को और भी डरावना बना दिया।
  • “हम जुर्म की दुनिया के कर्नल हैं” (शोला और शबनम)
    उनका यह डायलॉग उनके खलनायकी अंदाज़ और ताकतवर व्यक्तित्व को बखूबी पेश करता है।
  • “कितना भी भाग लो, ग़म, यादें और कर्ज़ पीछा नहीं छोड़ते” (दिल मांगे मोर)
    यह संवाद जीवन के कड़वे सच को प्रस्तुत करता है, जिसे ग्रोवर ने अपने अंदाज़ में प्रस्तुत किया।
  • “केसरिया विलायती, वेरी बैड मैन” (राम लखन)
    ‘बैड मैन’ के रूप में यह डायलॉग आज भी उनकी पहचान बन चुका है।

गुलशन ग्रोवर की बेहतरीन हिंदी फ़िल्में

गुलशन ग्रोवर ने कई फिल्मों में यादगार भूमिकाएँ निभाई हैं, जो आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं। उनके द्वारा निभाए गए किरदार न केवल खलनायकी को नए आयाम देते हैं बल्कि फ़िल्मों को भी यादगार बना देते हैं। कुछ बेहतरीन फ़िल्में हैं:

  • राम लखन (1989)
    फिल्म ‘राम लखन’ में उनका किरदार केसरिया विलायती, एक ऐसा खलनायक था जो अपनी चालाकी और बेबाक अंदाज़ के लिए मशहूर हो गया। अनिल कपूर के साथ उनके मुकाबले का दृश्य आज भी याद किया जाता है। यह उनकी सबसे यादगार फिल्मों में से एक मानी जाती है।
  • शोला और शबनम (1992)
    ‘काली बाबा’ के किरदार में गुलशन ग्रोवर ने गोविंदा और दिव्या भारती के साथ स्क्रीन शेयर करते हुए अपनी नकारात्मक भूमिका को और भी मजबूती दी। उनका खलनायकी अंदाज़ और दमदार संवाद अदायगी ने फिल्म को एक खास ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
  • विश्वात्मा (1992)
    फिल्म ‘विश्वात्मा’ में उनका किरदार तपस्वी गुंजाल आज भी लोगों के दिलों में बसा है। इस फिल्म में उनके द्वारा बजाई गई बांसुरी और ‘सात समुंदर’ गाने पर उनका डांस सीक्वेंस अमर हो चुका है।
  • सर (1993)
    महेश भट्ट की फिल्म ‘सर’ में ‘छप्पन टिकली’ के किरदार ने दर्शकों पर गहरा असर छोड़ा। चेहरे पर 66 निशानों के साथ इस नकारात्मक किरदार ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया।
  • दिलवाले (1994)
    शंकर बिहारी के किरदार में उन्होंने अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया। यह फिल्म भी 90 के दशक की उनकी बेहतरीन फिल्मों में शुमार है।
  • मोहरा (1994)
    ‘टाइसन’ के रूप में उनका किरदार फिल्म ‘मोहरा’ में एक बेहद खतरनाक और चालबाज खलनायक का था। उनकी दमदार स्क्रीन प्रेजेंस ने फिल्म में उनके किरदार को अविस्मरणीय बना दिया।
  • हेरा फेरी (2000)
    ‘कबीर’ के छोटे से रोल में भी उनका संवाद “कबीर स्पीकिंग” फिल्म की सफलता में चार चांद लगा गया।
  • गैंगस्टर (2006)
    इस फिल्म में उनका किरदार ‘खान’ एक शक्तिशाली गैंग लॉर्ड का था। स्क्रीन पर उनका छोटा लेकिन महत्वपूर्ण रोल दर्शकों के दिलों में आज भी ताज़ा है।
  • आई एम कलाम (2012)
    इस फिल्म में उन्होंने ‘भाटी’ के किरदार को निभाया, जो एक ढाबा मालिक होता है। यह किरदार बेहद दिलचस्प और मानवीय था, जिससे उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता की बहुमुखी प्रतिभा को साबित किया।

हॉलीवुड में गुलशन ग्रोवर का सफर

गुलशन ग्रोवर न केवल बॉलीवुड में बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं। उनके कई हॉलीवुड प्रोजेक्ट्स में उनका काम काफी सराहा गया है:

  • Beeper (2002)
    यह एक थ्रिलर फिल्म थी, जिसमें गुलशन ग्रोवर ने एक महत्वपूर्ण किरदार निभाया। इस फिल्म में उनकी एक्टिंग ने उन्हें हॉलीवुड में एक अलग पहचान दिलाई।
  • Desperate Endeavours (2011)
    इस फिल्म में गुलशन ग्रोवर ने एक ऐसा किरदार निभाया जो भारतीय और पश्चिमी संस्कृति के बीच के अंतर को समझने की कोशिश करता है।
  • Prisoners Of The Sun (2013)
    एक और बेहतरीन हॉलीवुड प्रोजेक्ट, जिसमें ग्रोवर की भूमिका को काफी सराहा गया। यह फिल्म मिस्ट्री और एडवेंचर पर आधारित थी।
  • Blind Ambition (2008)
    इस फिल्म में उनका किरदार एक बिज़नेस टायकून का था, जिसमें उनकी प्रस्तुति ने दर्शकों को बेहद प्रभावित किया।

आने वाले प्रोजेक्ट्स

गुलशन ग्रोवर आज भी अपने फिल्मी करियर में सक्रिय हैं और नई फिल्मों में नज़र आने वाले हैं। उनकी आने वाली सबसे बड़ी फिल्म ‘No Means No’ है, जो एक इंडो-पोलिश फिल्म है। इस फिल्म का निर्देशन विकाश वर्मा ने किया है और यह एक टीनएज लव स्टोरी पर आधारित है। इस फिल्म में गुलशन ग्रोवर के साथ कई पोलिश और भारतीय कलाकार भी शामिल हैं।

गुलशन ग्रोवर ने अपने 69 वर्षों के जीवन में न केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक इंसान के रूप में भी अपनी छाप छोड़ी है। उनके द्वारा निभाए गए खलनायकी किरदारों ने उन्हें भारतीय सिनेमा का ‘बैड मैन’ बना दिया है, लेकिन उनकी अभिनय क्षमता ने उन्हें हमेशा दर्शकों का प्रिय बनाए रखा। उन्होंने अपने किरदारों में इतने रंग भरे कि वे हर बार एक नए अवतार में दिखाई दिए।
जैसे-जैसे वे अपने करियर में आगे बढ़ते जा रहे हैं, दर्शक उनकी आने वाली फिल्मों का इंतजार कर रहे हैं। गुलशन ग्रोवर ने साबित किया है कि असली खलनायक वही है, जो अपनी पहचान कभी खोने नहीं देता।

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