उत्तर प्रदेश के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में शुक्रवार रात 10:45 बजे शॉर्ट सर्किट से आग लगने की घटना में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। इस हादसे ने अस्पताल की सुरक्षा तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अस्पताल के NICU वार्ड में आग के समय अग्निशामक यंत्र (फायर एक्सटिंग्विशर) निष्क्रिय पाए गए, और अग्नि अलार्म ने भी काम नहीं किया। उस समय वार्ड में 18 बेड थे, जिनमें से अधिकांश पर छह-छह बच्चे उपचाराधीन थे।
घटना के मुख्य बिंदु
- घटना का समय: शुक्रवार रात 10:45 बजे।
- मुख्य कारण: शॉर्ट सर्किट।
- मृतक: 10 नवजात।
- घायल: 16 बच्चे अभी भी जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
लापरवाही और बचाव कार्य
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग लगने पर NICU में अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल में मौजूद लोगों ने बच्चों को बचाने का प्रयास किया। एक बहादुर दादा, कृपाल सिंह राजपूत ने 25 बच्चों को बचाया। हालांकि, समय पर आग बुझाने वाले उपकरणों के न चलने से 10 बच्चों की जान नहीं बचाई जा सकी।
घटना के बाद पुलिस और प्रशासन ने राहत कार्य में तेजी दिखाई। घायल बच्चों को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सभी डॉक्टर और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
सरकार का बयान और मुआवजे की घोषणा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने मृतक बच्चों के परिवारों को ₹5 लाख और घायलों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।
स्वास्थ्य मंत्री और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार सुबह अस्पताल का दौरा किया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “अगर किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई जाती है, तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”
स्थिति को लेकर सवाल
झांसी मेडिकल कॉलेज की यह घटना राज्य के स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों की ओर इशारा करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय पर अग्निशामक उपकरण काम कर गए होते, तो इतनी बड़ी त्रासदी टल सकती थी।