कर्नाटक की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के साथ, उन्होंने चुनाव के दौरान महिला सशक्तिकरण और अन्य सामाजिक सुरक्षा उपायों पर जोर दिया, जिसमें महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा की शक्ति योजना प्रमुख थी। लेकिन हाल ही में कांग्रेस नेताओं के बीच इस योजना के भविष्य को लेकर मतभेद सामने आए हैं, जिसने राजनीतिक सरगर्मियों को बढ़ा दिया है।
शक्ति योजना पर शिवकुमार का बयान और खड़गे की प्रतिक्रिया
हाल ही में, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने शक्ति योजना पर टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि कुछ आर्थिक रूप से सशक्त महिलाएं स्वयं यात्रा का खर्च वहन करना चाहती हैं, और वे इस मामले पर परिवहन मंत्री से चर्चा करेंगे। हालांकि, उनकी इस टिप्पणी को मीडिया और विपक्ष द्वारा इस तरह से प्रस्तुत किया गया कि सरकार शायद योजना को वापस लेने या इसमें बदलाव करने की सोच रही है।
इस बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसी बातें विपक्ष को फायदा पहुंचा सकती हैं। उन्होंने शिवकुमार को आगाह किया कि चुनावी घोषणाओं में बजट की सीमा को ध्यान में रखकर ही वादे किए जाने चाहिए, क्योंकि बड़े वादों से राज्य के वित्तीय संसाधनों पर दबाव बढ़ता है। खड़गे ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई को भी इसी तरह के दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि वे केवल यथार्थवादी वादे करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कांग्रेस पर हमला
इस पूरे विवाद का फायदा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की आलोचना की और इसे कांग्रेस की ‘फर्जी वादों की संस्कृति’ बताया। मोदी ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पार्टी चुनाव दर चुनाव अव्यावहारिक वादे करके जनता को लुभाती है, जिन्हें वह कभी पूरा नहीं कर सकती। उन्होंने अपने पोस्ट में #FakePromisesofCongress हैशटैग का उपयोग किया और लोगों से कांग्रेस के इन नकली वादों से सतर्क रहने की अपील की।
मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकारों के कारण राज्यों में विकास रुक गया है और वित्तीय स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना का उदाहरण देते हुए कहा कि इन राज्यों में कांग्रेस के ‘गारंटी’ वादे अधूरे हैं, जिससे गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने वादों को पूरा नहीं करती और इसके चलते जनता के साथ धोखा होता है।
कांग्रेस की जवाबी सफाई
कांग्रेस ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि शक्ति योजना को वापस लेने का कोई इरादा नहीं है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी साफ किया कि राज्य सरकार की योजना में बदलाव की कोई योजना नहीं है। वहीं शिवकुमार ने यह स्पष्टीकरण दिया कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने कहा कि कुछ महिलाएं, खासतौर पर आईटी सेक्टर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाली महिलाएं, जो यात्रा भत्ता पाती हैं, वे स्वयं किराया देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इस बयान को प्रधानमंत्री मोदी की एलपीजी सब्सिडी छोड़ने की अपील से तुलना करते हुए कहा कि उन्होंने केवल वैकल्पिक सुझाव रखा था, जो किसी पर जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता।
शिवकुमार ने दोबारा यह स्पष्ट किया कि पांच गारंटी योजनाओं को पूरी तरह लागू किया जाएगा और इन पर कोई समझौता नहीं होगा।
भाजपा का आक्रामक रुख
इस विवाद पर भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि खड़गे का बयान इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस को अब महसूस हो रहा है कि बजट की सीमा में रहकर ही वादे करने चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या खड़गे ने यह सलाह राहुल गांधी को भी दी है, जो अक्सर बड़े-बड़े वादे करते हैं।
विपक्षी नेता आर. अशोक ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस के नेताओं के बीच की अंदरूनी राजनीति और संसाधनों का अनुचित उपयोग राज्य की प्रगति में बाधा बन रहे हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा किए गए वादों पर विवाद ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। शक्ति योजना पर उपजे इस विवाद से कांग्रेस की योजनाओं की सच्चाई और राजनीतिक स्थिरता पर सवाल खड़े हो गए हैं। वहीं, भाजपा ने इस विवाद को राजनीतिक बढ़त के रूप में देखा है और इसे कांग्रेस की ‘नकली वादों की संस्कृति’ के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया है।
कर्नाटक के लोगों के बीच यह संदेश गया है कि सरकार द्वारा किए गए वादे और घोषणाएं केवल चुनावी रणनीति न होकर यथार्थ में भी लागू होनी चाहिए।