दीवाली के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक गिरती है, जिससे सांस की बीमारियां बढ़ती हैं।

Delhi's air quality drops to dangerous levels during Diwali, leading to an increase in respiratory diseases.
Delhi's air quality drops to dangerous levels during Diwali, leading to an increase in respiratory diseases.
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हर साल दीवाली के मौसम में दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में हवा जहरीली हो जाती है। इसके प्रमुख कारण हैं पराली जलाना, पटाखों का प्रयोग, और प्रदूषणकारी तत्वों का वातावरण में बढ़ता स्तर। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने दिल्ली में हाल ही में 356 का आंकड़ा छुआ है, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है और दीवाली के करीब आने के साथ ही इसके और बिगड़ने की आशंका है।

प्रदूषण के मुख्य कारक और उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव

पराली जलाना: हवा में जहर घोलने वाला कृषि अवशेषों का दहन

पराली जलाना, यानी फसलों के अवशेषों को खेतों में जलाना, खासतौर पर हरियाणा, पंजाब, और उत्तर प्रदेश में होता है। यह प्रक्रिया प्रदूषण को अत्यधिक बढ़ावा देती है और दिल्ली सहित उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में जहरीली गैसें और प्रदूषक तत्व फैलते हैं।

पराली जलाने से जो प्रदूषक निकलते हैं, उनमें शामिल हैं:

  • कार्बन मोनोऑक्साइड (CO): एक रंगहीन गैस जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx): यह गैस स्मॉग बनाती है और सांस की समस्याएं बढ़ाती है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): जो कि जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है।
  • मीथेन (CH4): एक प्रभावी ग्रीनहाउस गैस जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाती है।
  • सूक्ष्मकण (PM10 और PM2.5): ये फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।

पटाखे: क्षणिक खुशी या दीर्घकालिक स्वास्थ्य खतरा?

पटाखे प्रदूषण में तेजी लाते हैं, जिससे वातावरण में खतरनाक केमिकल्स जैसे बेरियम नाइट्रेट, पोटैशियम क्लोरेट, सल्फर और एल्युमिनियम धूल मिल जाती है। इनमें से कई रासायनिक यौगिक न केवल हवा को जहरीला बनाते हैं बल्कि त्वचा और आंखों में जलन, सांस की समस्याएं, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।

फायरक्रैकर्स से निकलने वाले प्रदूषक पदार्थ जैसे पॉलिक्लोरीनेटेड डाइबेंजोडायोक्सिन्स और डाइबेंजॉफ्यूरंस निचले ट्रोपोस्फियर में बने रहते हैं, जिससे लोगों को लंबे समय तक इनका असर सहना पड़ता है।

वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव

श्वसन तंत्र पर घातक प्रभाव

वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है। PM2.5 जैसे सूक्ष्मकण फेफड़ों में गहराई तक जाकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां उत्पन्न कर सकते हैं।

डॉ. राहुल केंद्रे, फेफड़ा प्रत्यारोपण विशेषज्ञ, के अनुसार, “पटाखों और पराली से उत्पन्न प्रदूषक वायु प्रदूषण को और गंभीर बना देते हैं। इससे अस्थमा, खांसी, सांस की कमी, और फेफड़ों में स्थायी क्षति का खतरा बढ़ता है।”

शरीर में संक्रमणों का जोखिम बढ़ना

वायु प्रदूषण न केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है बल्कि इसमें वायरस और बैक्टीरिया का मिश्रण भी होता है जो सर्दी, टाइफॉइड, और अन्य संक्रमणों का खतरा बढ़ाता है। हवा में मौजूद सूक्ष्मकण फेफड़ों में जाकर इन संक्रामक एजेंट्स को बढ़ावा देते हैं जिससे सांस संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

दिल की बीमारियाँ और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव

वायु प्रदूषण से दिल के रोगों का खतरा भी बढ़ता है। प्रदूषक तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं जिससे संज्ञानात्मक विकार और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

प्रदूषण के खिलाफ कैसे करें सुरक्षा?

पटाखों का प्रयोग कम करें और ग्रीन क्रैकर्स का उपयोग करें

सरकार द्वारा पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद, अगर पटाखे चलाना ज़रूरी हो, तो ग्रीन क्रैकर्स का उपयोग बेहतर है क्योंकि वे कम प्रदूषण और शोर उत्पन्न करते हैं।

घरेलू वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय अपनाएं

दीवाली के दौरान जलते दीपक और मोमबत्तियाँ भी घर में वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं। इसकी जगह इलेक्ट्रिक दीयों और LED मोमबत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है।

स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें

  • बाहर कम निकलें: खासकर शाम को, जब वायु प्रदूषण अपने चरम पर होता है। बुजुर्ग और बच्चे विशेष रूप से इसका ध्यान रखें।
  • मास्क पहनें: बाहर जाते समय N95 मास्क का उपयोग करें, जिससे प्रदूषण का सीधा संपर्क कम हो।
  • पानी पीएं और एंटीऑक्सीडेंट्स का सेवन करें: फलों और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं, जो शरीर को प्रदूषण के प्रभाव से लड़ने में मदद करते हैं।

योग और ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें

ब्रीदिंग एक्सरसाइज और योग से फेफड़ों की क्षमता बेहतर होती है और यह प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों से भी बचाता है। कोशिश करें कि दीवाली के दौरान अधिकतर एक्सरसाइज इनडोर ही करें।

स्वस्थ दीवाली के लिए जिम्मेदारी उठाएँ

दीवाली का असली आनंद तभी है जब हम खुद और दूसरों की सेहत का ख्याल रखें। पटाखों से परहेज, पराली जलाने की जगह नई तकनीकों का प्रयोग, और स्वस्थ आदतों को अपनाकर हम एक सुरक्षित और आनंदमयी दीवाली मना सकते हैं।

अभी भी समय है कि हम अपने जीवन और स्वास्थ्य की कद्र करते हुए प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दें।

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Team K.H.
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