राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस संजीव खन्ना की भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की। जस्टिस खन्ना 11 नवंबर 2024 को वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद पदभार ग्रहण करेंगे। उनके कार्यकाल की अवधि लगभग 183 दिन होगी, जो 13 मई 2025 को समाप्त होगी।
जस्टिस संजीव खन्ना की पृष्ठभूमि और उपलब्धियां
जस्टिस संजीव खन्ना की कानूनी यात्रा 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में शुरू हुई थी। उन्होंने कराधान, संवैधानिक कानून, वाणिज्यिक और पर्यावरण संबंधी मामलों में विशेषज्ञता हासिल की। 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए और एक साल बाद उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। 2019 में सुप्रीम कोर्ट में उन्हें पदोन्नत किया गया। जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं और अपने निर्णयों के लिए जाने जाते हैं, विशेषकर हाल के वर्षों में।
महत्वपूर्ण फैसले
जस्टिस खन्ना ने कई महत्वपूर्ण फैसलों में भाग लिया है:
- अनुच्छेद 370 का उन्मूलन: 2022 में, उन्होंने संविधान पीठ के एक सदस्य के रूप में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया, जिसमें कहा गया कि यह भारत की संघीय संरचना का एक अनूठा हिस्सा था, लेकिन राज्य को संप्रभुता प्रदान नहीं करता था।
- चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया: जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनावी बांड योजना को अवैध घोषित किया, जिसमें राजनीतिक दलों को गुप्त चंदा देने की अनुमति दी गई थी। इस फैसले में उन्होंने मतदाता के सूचना के अधिकार को लोकतंत्र में पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण बताया।
- अविवाहित जोड़ों की तलाक याचिकाओं पर फैसला: 2023 में, उन्होंने एक फैसले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए अपरिवर्तनीय रूप से विफल हो चुकी शादियों के मामले में तलाक दे सकता है।
पारिवारिक विरासत और न्यायिक दर्शन
जस्टिस संजीव खन्ना का न्यायिक परिवारिक इतिहास भी समृद्ध है। उनके चाचा, जस्टिस हंसराज खन्ना, सुप्रीम कोर्ट के एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश थे, जो 1976 में विवादित एडीएम जबलपुर मामले में अपने असहमति के फैसले के लिए जाने जाते हैं।
जस्टिस खन्ना के अनुसार, एक न्यायाधीश का उद्देश्य कानून का पालन करना है, न कि नए कानून बनाना। उन्होंने अपने कई भाषणों में कहा है कि न्यायाधीशों में उत्साह कानून की व्याख्या करने में बाधा बन सकता है।
कार्यकाल की अवधि और चुनौतियां
जस्टिस खन्ना का कार्यकाल छह महीने से कुछ अधिक रहेगा, जिसमें उन्हें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर न्यायिक मार्गदर्शन देना होगा। उनके पास विभिन्न संवैधानिक और कानूनी चुनौतियों से निपटने का अनुभव है, जो उनके संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली कार्यकाल के दौरान न्यायपालिका को नई दिशा दे सकते हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालना भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उनके अनुभव और फैसले यह दर्शाते हैं कि वे न्याय के मार्गदर्शन में समाज के सामने आने वाले नए मुद्दों से सफलतापूर्वक निपटने में सक्षम होंगे।
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