प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22-23 अक्टूबर 2024 को रूस के कज़ान में आयोजित होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। इस शिखर सम्मेलन में मोदी के चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठकें होने की संभावना है। इस शिखर सम्मेलन की विशेषता यह है कि यह ब्रिक्स के विस्तार के बाद पहला सम्मेलन है, जिसमें भारत के लिए भू-राजनीतिक और आर्थिक हित प्रमुख रहेंगे।
ब्रिक्स क्या है?
ब्रिक्स (BRICS) दुनिया के पांच प्रमुख विकासशील देशों—ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका—का समूह है। इसका गठन 2009 में हुआ था, और 2010 में दक्षिण अफ्रीका को भी इसमें शामिल किया गया। जनवरी 2024 में इस समूह में चार नए सदस्य—मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात—को जोड़ा गया, जिससे यह अब नौ देशों का संगठन बन गया है। इस समूह का उद्देश्य वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में गैर-पश्चिमी देशों के प्रभाव को बढ़ावा देना है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 का महत्व
2024 का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इसलिए भी खास है क्योंकि यह समूह के विस्तार के बाद पहली बार हो रहा है। अब ब्रिक्स में 41% विश्व की आबादी और 24% वैश्विक GDP का प्रतिनिधित्व होता है। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का मुख्य ध्यान वैश्विक दक्षिण (Global South) के साथ सहयोग बढ़ाने पर रहेगा। भारत की ब्रिक्स में हिस्सेदारी उसे विश्व मंच पर एक मजबूत आवाज प्रदान करती है, जहां वह बहुपक्षीय सहयोग और वैश्विक विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
भारत के लिए ब्रिक्स का महत्व
भारत के लिए ब्रिक्स का महत्व कई पहलुओं में है:
- आर्थिक सहयोग: ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश के अवसरों को बढ़ावा मिलता है। ब्रिक्स बैंक (New Development Bank) जैसे संस्थान आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने में मदद करते हैं।
- भू-राजनीतिक संतुलन: ब्रिक्स मंच के जरिए भारत वैश्विक राजनीति में संतुलन बनाने की कोशिश करता है, खासकर पश्चिमी शक्तियों के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए। यह समूह भारत को चीन और रूस जैसे बड़े देशों के साथ कूटनीतिक संबंध सुधारने का मौका देता है।
- वैश्विक दक्षिण की आवाज़: ब्रिक्स, विशेष रूप से विस्तारित ब्रिक्स, विकासशील देशों को वैश्विक मंच पर अपनी आवाज उठाने का एक मौका प्रदान करता है। भारत के लिए यह संगठन अपनी विकास रणनीतियों और वैश्विक चुनौतियों पर बहस करने का एक महत्वपूर्ण मंच है।
विस्तारित ब्रिक्स और भारत
2024 में हुए विस्तार के बाद ब्रिक्स अब नौ सदस्यों का समूह बन गया है। मिस्र, इथियोपिया, ईरान और यूएई जैसे देशों के शामिल होने से भारत के लिए अफ्रीका और मध्य पूर्व के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का अवसर मिलेगा। भारत के लिए यह न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से बल्कि सुरक्षा और ऊर्जा आपूर्ति के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है।
चीन के साथ संबंध और शिखर सम्मेलन
इस शिखर सम्मेलन में एक और अहम मुद्दा भारत और चीन के बीच का सीमा विवाद रहेगा। 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। हालांकि, हाल ही में भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए समझौते हुए हैं, और इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक से इन संबंधों में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है जहां वह वैश्विक मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद कर सकता है। इसका विस्तार भारत को अधिक वैश्विक मंच प्रदान करता है और चीन जैसे पड़ोसियों के साथ कूटनीतिक संबंध सुधारने का अवसर प्रदान करता है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत इस समूह के जरिए अपने आर्थिक और रणनीतिक हितों को साधने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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