MIT के इंजीनियर्स ने 3D प्रिंटिंग से मजबूत ग्लास ब्रिक्स बनाए, जो कॉन्क्रीट जितनी मजबूती के साथ कई बार पुन: उपयोग हो सकते हैं।

MIT engineers used 3D printing to create strong glass bricks
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इंजीनियर्स ने 3D प्रिंटेड मजबूत ग्लास ब्रिक्स बनाए टिकाऊ संरचनाओं के लिए

आधुनिक तकनीकें लगातार हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं, और 3D प्रिंटिंग भी उनमें से एक है। इस तकनीक का प्रभाव अब निर्माण उद्योग तक पहुंच चुका है, जहां 3D प्रिंटेड ग्लास ब्रिक्स (ईंटें) न केवल टिकाऊ हैं, बल्कि पुनः उपयोग योग्य भी हैं। MIT के इंजीनियर्स की एक टीम ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मजबूत और बहुपयोगी ग्लास ब्रिक्स का निर्माण किया है, जो कंक्रीट की ईंटों के समान दबाव झेल सकते हैं।

इस खोज ने यह साबित कर दिया है कि निर्माण सामग्री को पुराने ढर्रे पर टिकने की बजाय, उन्हें फिर से काम में लिया जा सकता है और उनका पुनः उपयोग किया जा सकता है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि निर्माण उद्योग में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने का एक प्रमुख तरीका भी है।

3D प्रिंटेड ग्लास ब्रिक्स का अनोखा डिज़ाइन

MIT के इंजीनियर्स ने जो ग्लास ब्रिक्स बनाए हैं, वे दिखने में कुछ हद तक LEGO ईंटों की तरह हैं, जो आपस में इंटरलॉक (अंतःस्थापित) हो जाती हैं। इन ईंटों को विशेष 3D प्रिंटिंग तकनीक से तैयार किया गया है, जिसे Evenline नामक MIT की एक स्पिन-ऑफ कंपनी ने विकसित किया है।

इन ईंटों का आकार “आठ” (figure-8) के आकार में बनाया गया है ताकि ये आसानी से एक-दूसरे में फिट हो सकें और एक मजबूत संरचना बना सकें। दिलचस्प बात यह है कि इन ईंटों का उपयोग एक टिकाऊ तरीके से किया जा सकता है। किसी भी संरचना के अंत में, इन ईंटों को अलग कर एक नई संरचना में दोबारा उपयोग किया जा सकता है। इससे न केवल नई सामग्री के निर्माण की आवश्यकता कम होगी, बल्कि पुरानी सामग्री को पुनः चक्रित (recycle) करके निर्माण क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को भी कम किया जा सकेगा।

MIT की टीम ने एक छोटे पैमाने पर इन ग्लास ब्रिक्स का उपयोग करके एक दीवार बनाई, जिससे यह साबित हो सके कि ये ईंटें कंक्रीट जितनी मजबूत हैं और निर्माण कार्यों में इनका उपयोग किया जा सकता है।

सर्कुलर कंस्ट्रक्शन की अवधारणा

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य “सर्कुलर कंस्ट्रक्शन” की अवधारणा को बढ़ावा देना है, जिसमें निर्माण सामग्रियों का पुन: उपयोग किया जा सके। आमतौर पर निर्माण उद्योग में उपयोग की जाने वाली सामग्री, जैसे कंक्रीट, एक बार इस्तेमाल होने के बाद फेंक दी जाती है, जिससे पर्यावरण पर भारी दबाव पड़ता है।

पर MIT के इंजीनियर्स ने एक ऐसा तरीका ढूंढ निकाला है जिसमें 3D प्रिंटेड ग्लास का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले पुराने कांच के टुकड़ों को रिसाइकल किया जाता है और फिर उन्हें 3D प्रिंटर के जरिए नए ईंटों में ढाला जाता है। इस प्रकार, यह ग्लास लगभग अनंत बार पुनः उपयोग किया जा सकता है, बशर्ते कि इसे सही तरीके से संभाला जाए और इसमें कोई मिलावट न हो।

MIT के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर कैटलिन बेकर के अनुसार, “ग्लास एक ऐसा सामग्री है जिसे लगभग अनंत बार रिसाइकल किया जा सकता है, और हम इस रिसाइकलिंग प्रक्रिया का उपयोग करके निर्माण सामग्री तैयार कर रहे हैं, जिसे पुनः उपयोग किया जा सकता है।”

ग्लास का उपयोग: एक संरचनात्मक सामग्री के रूप में

ग्लास का उपयोग अब तक संरचनात्मक निर्माण सामग्री के रूप में ज्यादा नहीं किया गया है, क्योंकि इसे पारंपरिक रूप से नाजुक माना जाता है। लेकिन MIT के शोधकर्ताओं ने साबित कर दिया है कि 3D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके ग्लास को इतना मजबूत बनाया जा सकता है कि यह कंक्रीट जैसी संरचनाओं में उपयोग हो सके। इस प्रोजेक्ट के सह-लेखक माइकल स्टर्न का कहना है, “ग्लास को एक संरचनात्मक सामग्री के रूप में देखना एक नई सोच है, और हम यह दिखा रहे हैं कि आर्किटेक्चर में इसके उपयोग की संभावनाएं बहुत बड़ी हैं।”

टीम ने एक नवीन 3D प्रिंटर G3DP3 का उपयोग किया, जो ग्लास की बोतलों को पिघलाकर एक नए रूप में प्रिंट करता है। इस प्रिंटर की मदद से टीम ने कई परतों वाले ग्लास ब्रिक्स बनाए, जो संरचनात्मक रूप से बहुत मजबूत हैं।

मजबूतता और टिकाऊपन का परीक्षण

इन 3D प्रिंटेड ग्लास ब्रिक्स को जब एक इंडस्ट्रियल हाइड्रोलिक प्रेस के जरिए जांचा गया, तो यह देखा गया कि ये ईंटें कंक्रीट जैसी मजबूत थीं। परीक्षण के दौरान सबसे मजबूत ग्लास ईंटें वे थीं जिनके इंटरलॉकिंग फीचर्स अलग से तैयार किए गए थे। ये ईंटें उस दबाव को झेल सकती थीं, जो आमतौर पर कंक्रीट की ईंटों पर पड़ता है।

यद्यपि इंटरलॉकिंग फीचर के लिए अलग सामग्री का उपयोग किया गया, लेकिन टीम का मानना है कि भविष्य में इस फीचर को भी ग्लास से ही तैयार किया जा सकता है। फिलहाल, यह एक प्रोटोटाइप है, लेकिन इसका विकास बड़े पैमाने पर किया जा सकता है।

अगला कदम: बड़ी संरचनाओं की ओर

इस टीम का अगला लक्ष्य इन ग्लास ब्रिक्स का उपयोग करके बड़ी संरचनाएं बनाना है। फिलहाल, उन्होंने एक दीवार का निर्माण किया है, लेकिन भविष्य में वे और भी बड़े संरचनात्मक प्रयोगों की योजना बना रहे हैं। उनकी योजना एक ऐसा मंडप (pavilion) बनाने की है जिसे लोग अनुभव कर सकें और फिर इसे दोबारा से किसी अन्य डिजाइन में ढाला जा सके।

शोधकर्ताओं का मानना है कि इन ईंटों से कई जीवनचक्रों के दौरान नई संरचनाओं का निर्माण किया जा सकता है। इस प्रकार, ये ग्लास ब्रिक्स निर्माण उद्योग में न केवल टिकाऊ हैं, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

पर्यावरणीय लाभ

इस तरह की निर्माण सामग्री का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पर्यावरण के लिए बेहद अनुकूल है। पारंपरिक निर्माण सामग्री जैसे कंक्रीट, इस्पात आदि के निर्माण में भारी मात्रा में ऊर्जा और संसाधनों का उपयोग होता है। इसके विपरीत, 3D प्रिंटेड ग्लास ब्रिक्स रिसाइकल किए गए ग्लास से बनाए जाते हैं, जिससे नई सामग्री के निर्माण की आवश्यकता कम हो जाती है।

इसके अलावा, इन ब्रिक्स को पुनः उपयोग और पुनः चक्रित (recycle) किया जा सकता है, जिससे निर्माण क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट कम होगा।

MIT की यह पहल उन लोगों के लिए एक आदर्श उदाहरण हो सकती है, जो पर्यावरण संरक्षण और सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। यह एक ऐसा मॉडल हो सकता है जिसे दुनिया के अन्य हिस्सों में भी अपनाया जा सकता है।

3D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके बनाए गए ग्लास ब्रिक्स का आविष्कार निर्माण उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। ये ब्रिक्स न केवल मजबूत और टिकाऊ हैं, बल्कि पुनः उपयोग और रिसाइकलिंग के माध्यम से पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। MIT के इंजीनियर्स ने एक अनोखा तरीका विकसित किया है जिससे न केवल ग्लास की संभावनाओं का विस्तार हुआ है, बल्कि सस्टेनेबल आर्किटेक्चर की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

आने वाले वर्षों में, इस तकनीक का उपयोग करके और भी बड़ी संरचनाएं बनाई जा सकती हैं, जो न केवल मजबूत होंगी, बल्कि सर्कुलर कंस्ट्रक्शन के सिद्धांतों का पालन करते हुए पर्यावरण के अनुकूल भी होंगी। इस प्रकार की नई तकनीकें न केवल भविष्य के निर्माण कार्यों को परिभाषित करेंगी, बल्कि एक सस्टेनेबल और टिकाऊ समाज के निर्माण में भी सहायक होंगी।

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Team K.H.
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