गूगल ने जब 2015 में अल्फाबेट के तहत पुनर्गठन किया, तो उसने अपने AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के विकास से ध्यान हटाकर खुद को दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन बनाए रखने पर केंद्रित कर लिया। जीमेल के क्रिएटर पॉल बुचहाइट के अनुसार, गूगल के इस फैसले ने उसकी AI क्षमता पर गहरा प्रभाव डाला।
AI से सर्च इंजन की ओर शिफ्ट
बुचहाइट ने हाल ही में य कॉम्बिनेटर स्टार्टअप के एक पॉडकास्ट एपिसोड में बताया कि गूगल के संस्थापक सर्गेई ब्रिन और लैरी पेज ने शुरुआत में इसे एक AI कंपनी के रूप में देखा था। लेकिन 2015 में जब कंपनी ने अल्फाबेट के तहत पुनर्गठन किया, तो AI के बजाय सर्च इंजन को प्राथमिकता दी गई। इस समय कंपनी के संस्थापकों ने कदम पीछे खींच लिए और मौजूदा सीईओ सुंदर पिचाई ने कमान संभाली।
प्रॉफिट और सटीकता के बीच संघर्ष
बुचहाइट का कहना है कि एक सर्च कंपनी के लिए मुनाफा और सही उत्तर देने के बीच स्वाभाविक तनाव होता है। अगर गूगल ने यूजर्स को सीधे उत्तर देना शुरू कर दिया, जैसा कि OpenAI के ChatGPT जैसे चैटबॉट्स करते हैं, तो लोग विज्ञापनों पर कम क्लिक करेंगे, जिससे गूगल की आय पर असर पड़ेगा।
AI के साथ गूगल के संघर्ष
गूगल की AI पेशकशों को अब तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। उदाहरण के लिए, गूगल का AI सर्च फीचर “AI ओवरव्यू” सर्च परिणामों के साथ सारांश बनाने के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन इसने बेतुके उत्तर दिए, जैसे कि पिज्जा पर ग्लू लगाने का सुझाव देना।
इसका असर गूगल की मार्केट वैल्यू पर भी पड़ा, जब अप्रैल में गूगल की Bard नामक AI पेशकश ने एक डेमो के दौरान गलत उत्तर दिया, जिसके कारण गूगल ने एक ही दिन में $100 बिलियन का मार्केट मूल्य खो दिया।
गूगल का AI से ध्यान हटाना उसके AI विकास में पिछड़ने का प्रमुख कारण बना। पॉल बुचहाइट की इस टिप्पणी से यह स्पष्ट होता है कि AI पर ध्यान न देकर गूगल ने खुद को एक सर्च इंजन के रूप में मजबूत किया, लेकिन AI के क्षेत्र में उसकी स्थिति कमजोर हो गई।