संसद विशेषाधिकार का गंभीर उल्लंघन: मोदी पर कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस ने भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के बजट पर भाषण को "अत्यधिक अपमानजनक और असंवैधानिक" बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया है।

Serious breach of Parliament privilege: Congress accuses Modi
Narendra Modi In Parlament House
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कांग्रेस के संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने ठाकुर पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की जाति का संदर्भ देने का आरोप लगाया। रमेश ने कहा कि ठाकुर के भाषण को मोदी द्वारा साझा करने और उसकी प्रशंसा करने से संसदीय विशेषाधिकार का गंभीर उल्लंघन हुआ है।

रमेश ने कहा, “यह भाषण जो गैर-जैविक प्रधानमंत्री इसे ‘अवश्य सुनें’ कह रहे हैं, अत्यधिक अपमानजनक और असंवैधानिक है – और इसे साझा करके उन्होंने संसदीय विशेषाधिकार का गंभीर उल्लंघन प्रोत्साहित किया है।”

मामले का विवरण

  1. ठाकुर का भाषण: ठाकुर ने अपने भाषण में राहुल गांधी की जाति का संदर्भ दिया था, जिससे विपक्ष और सत्तारूढ़ पार्टी के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
  2. विपक्ष की प्रतिक्रिया: राहुल गांधी ने ठाकुर पर अपमान और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया, लेकिन उन्होंने किसी माफी की मांग नहीं की। उन्होंने कहा, “अनुराग ठाकुर ने मेरा अपमान किया और मैं उनसे कोई माफी नहीं चाहता। मुझे जितना चाहे अपमानित करें, लेकिन हम इस संसद में जाति जनगणना को पास जरूर करेंगे।”
  3. प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया: मोदी ने ठाकुर के भाषण की प्रशंसा करते हुए इसे “तथ्यों और हास्य का सही मिश्रण” कहा और इसे सुनने की सिफारिश की। इससे विपक्षी दलों में और रोष फैल गया।

कांग्रेस की आलोचना

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ठाकुर के जाति संदर्भ की निंदा की। उन्होंने कहा, “80 प्रतिशत लोगों की मांग है कि सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना हो। आज संसद में कहा गया कि जिनकी जाति नहीं पता, वे जाति जनगणना की बात कर रहे हैं। क्या अब संसद में 80 प्रतिशत भारत की आबादी का अपमान होगा?”

उन्होंने नरेंद्र मोदी से यह स्पष्ट करने की मांग की कि क्या यह सब उनके इशारे पर हुआ।

संसद में घटनाक्रम

जब विपक्ष ने विरोध जताया, तो अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने सांसदों को आश्वस्त किया कि टिप्पणियों को निष्कासित कर दिया जाएगा। हालाँकि, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि निष्कासित टिप्पणियाँ अभी भी ऑनलाइन उपलब्ध हैं और इस पर प्रधानमंत्री ने भी अपनी सहमति जताई है।

इस घटनाक्रम ने भारतीय संसद में नई और शर्मनाक निम्नता को उजागर किया है, और भाजपा-आरएसएस तथा मोदी पर गहरे जातिवाद का आरोप लगाया है।

यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति और संसदीय परंपराओं में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसमें जातिगत मुद्दों को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच गंभीर संघर्ष उत्पन्न हुआ है।

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