श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज, जिन्हें प्रेमानंद जी महाराज के नाम से जाना जाता है, भारतीय हिन्दू धार्मिक गुरु, संत और दार्शनिक हैं। ये राधा-कृष्ण के भक्त हैं और श्री हित राधा केली कुंज, वृंदावन में अपना आश्रम संचालित करते हैं। उनके साधारण जीवन और प्रसिद्धि से परहेज करने के कारण, उन्होंने सामाजिक मीडिया पर महत्वपूर्ण पहचान हासिल की है।
प्रारंभिक जीवन और परिवार
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज, जिन्हें प्रेमानंद जी महाराज के नाम से जाना जाता है, का जन्म 1972 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक के एक छोटे से गाँव, अक्खरी में हुआ था। उनका जन्म नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय था।
परिवार की पृष्ठभूमि
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माँ: श्रीमती रमा देवी, एक धार्मिक और संस्कारशील महिला थीं। उन्होंने परिवार में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके स्नेह और मार्गदर्शन ने प्रेमानंद जी महाराज के जीवन में गहरी छाप छोड़ी।
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पिता: श्री शम्भू पाण्डेय, जो एक सादगीपूर्ण और परंपरावादी व्यक्ति थे, ने अपने परिवार को धार्मिक और नैतिक शिक्षाएं दीं। उनके व्यक्तित्व ने प्रेमानंद जी महाराज को जीवन में अनुशासन और भक्ति के महत्व को समझाने में मदद की।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
प्रेमानंद जी महाराज का बचपन एक साधारण ग्रामीण परिवेश में बीता। वे अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय से प्राप्त करने के बाद, अपने गहन आध्यात्मिक झुकाव की ओर ध्यान केंद्रित करने लगे।
- सन्यास का निर्णय: केवल 13 वर्ष की आयु में, प्रेमानंद जी ने घर-परिवार और सांसारिक जिम्मेदारियों को छोड़ने का निर्णय लिया। यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उनकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की।
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गुरु की खोज: अपने सन्यास के निर्णय के बाद, वे विभिन्न आध्यात्मिक मार्गदर्शकों की खोज में निकल पड़े। इस खोज ने उन्हें भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों और साधु-संतों के संपर्क में लाया।
प्रेमानंद जी महाराज का प्रारंभिक जीवन और परिवार उनकी आध्यात्मिक यात्रा की नींव रखता है। उनके परिवार का धार्मिक और संस्कारपूर्ण वातावरण, साथ ही उनके प्रारंभिक जीवन के अनुभवों ने उन्हें एक गहरे आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। यह परिवारिक समर्थन और स्नेहपूर्ण वातावरण ही था जिसने उन्हें अपने आध्यात्मिक उद्देश्य को पहचानने और उसकी ओर बढ़ने में सहायता की।
आध्यात्मिक शिक्षा और वृंदावन में प्रवास
प्रेमानंद महाराज का आध्यात्मिक यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने निष्ठिक ब्रह्मचारी के रूप में दीक्षा ली और सन्यास ग्रहण किया। उन्हें महावाक्य के तहत स्वामी आनंदाश्रम के नाम से पुकारा गया। हालांकि, महाराज जी ने आश्रम की पदानुक्रमित व्यवस्था को कभी स्वीकार नहीं किया और उन्होंने अपना जीवन गंगा के किनारे वाराणसी में एक आध्यात्मिक साधक के रूप में बिताया।
एक दिन, एक संत ने उन्हें वृंदावन की रास लीला देखने के लिए आमंत्रित किया। प्रारंभ में, महाराज जी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, लेकिन अंततः उन्होंने इसे ईश्वर की इच्छा मानते हुए स्वीकृति दे दी और वृंदावन चले गए।
गुरु और दीक्षा
श्री हित मोहित मारल गोस्वामी जी ने महाराज जी को राधावल्लभि संप्रदाय में “शरणागति मंत्र” के माध्यम से दीक्षा दी। कुछ समय बाद, पूज्य श्री हित गौरांगी शरणजी महाराज (बड़े गुरुजी) से मुलाकात के बाद उन्हें “निज मंत्र” की दीक्षा प्राप्त हुई, जो “सहचारी भाव” और “नित्य विहार रास” का initiation था। इस प्रकार, महाराज जी ने रसिक संतों में स्थान प्राप्त किया।
श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट वृंदावन
श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट, जो 2016 में स्थापित हुआ, एक गैर-लाभकारी संगठन है। इसका उद्देश्य समाज और व्यक्तियों की भलाई और उत्थान के लिए कार्य करना है। यह संगठन समाज की भलाई, स्वास्थ्य, और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में कई प्रशंसा योग्य पहलों को संचालित करता है।
ट्रस्ट वृंदावन धाम में संतों को आवास और भोजन प्रदान करता है, और इसके अतिरिक्त उनके चिकित्सा देखभाल, वस्त्र और अन्य आवश्यकताओं का ध्यान रखता है।
आध्यात्मिक शिक्षाएँ और दर्शन
श्री प्रेमानंद जी महाराज का आध्यात्मिक दर्शन शीर्षक और पदानुक्रम से परे है, और यह शुद्ध, अडिग भक्ति का प्रतीक है। उनके अनुसार, “आध्यात्मिकता जीवन, अस्तित्व और सत्य की आत्मा है!” वे मानते हैं कि गुरु की उपस्थिति और उनके आदेशों का पालन न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है, बल्कि भगवान को प्राप्त करने के लिए भी अपरिहार्य है।
वे बताते हैं कि हर सांस में भगवान का नाम जपना चाहिए, ईश्वर के प्रति एकता का भाव रखना चाहिए, और धर्म और गुरु के आदेशों का पालन करना चाहिए।
विवाद
जून 2024 में एक वीडियो के वायरल होने के बाद प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज विवादों में आ गए। वीडियो में, भागवताचार्य प्रदीप मिश्रा ने कहा था कि राधा रानी का जन्म स्थान बरसाना नहीं है, बल्कि रावल गाँव है। इस बयान पर प्रेमानंद जी महाराज ने तीखी प्रतिक्रिया दी और प्रदीप मिश्रा को राधा तत्त्व के ज्ञान की कमी का आरोप लगाया।
प्रदीप मिश्रा ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी और बरसाना जाकर राधा रानी से क्षमा याचना करने का वादा किया। इस विवाद ने संत समुदाय में काफी हलचल मचाई और प्रेमानंद जी महाराज के प्रति सम्मान और स्नेह को भी उजागर किया।
श्री प्रेमानंद जी महाराज से कैसे मिलें?: आश्रम का पता और संपर्क विवरण
श्री प्रेमानंद जी महाराज, वृंदावन के प्रसिद्ध संत हैं, जिनके दर्शन के लिए भक्त हमेशा उत्सुक रहते हैं। वे भगवान श्री कृष्ण के अवतार के रूप में पूजे जाते हैं और उनकी शिक्षाएँ भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। यदि आप भी श्री प्रेमानंद जी महाराज से मिलना चाहते हैं और उनके आश्रम में जाना चाहते हैं, तो निम्नलिखित जानकारी आपके लिए सहायक होगी:
आश्रम का पता
श्री प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम वृंदावन के प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। इसे “श्री हित राधा केली कुंज” के नाम से जाना जाता है। आश्रम का पूरा पता निम्नलिखित है:
श्री हित राधा केली कुंज
वृंदावन परिक्रमा मार्ग,
वराह घाट,
भक्ति वेदांत अस्पताल के सामने,
वृंदावन – 281121,
उत्तर प्रदेश, भारत
आश्रम के समय
आश्रम का समय भक्तों के दर्शन और साधना के लिए उपयुक्त होता है। सामान्यतः, आश्रम सुबह और शाम के समय भक्तों के लिए खुला रहता है, लेकिन विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण दिनों या आयोजनों के समय समय बदल सकता है। सटीक समय और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आप सीधे आश्रम से संपर्क कर सकते हैं।
संपर्क जानकारी
आश्रम से संपर्क करने के लिए, आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:
- आश्रम का ऐप डाउनलोड करें: श्री हित राधा केली कुंज ऐप डाउनलोड करके आप आश्रम के कार्यक्रमों और विशेष आयोजनों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- गूगल मैप्स पर खोजें: आप गूगल मैप्स पर “श्री हित राधा केली कुंज, वृंदावन” खोज कर आश्रम की स्थिति और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण बातें
- पूर्व सूचना: यदि आप विशेष रूप से महाराज जी से मिलना चाहते हैं, तो आश्रम को पहले से सूचित करना उचित रहेगा ताकि आपको सही समय पर मिलने का अवसर मिल सके।
- आश्रम की परंपराएं: आश्रम की परंपराओं और नियमों का पालन करना आवश्यक है, जिसमें साधारण वस्त्र पहनना और शांति बनाए रखना शामिल है।
श्री प्रेमानंद जी महाराज से मिलने का यह अवसर आपके आध्यात्मिक जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है। आश्रम की यात्रा के दौरान उनके ज्ञान और मार्गदर्शन का लाभ उठाने का यह एक अनमोल अवसर है।
समापन
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज की आध्यात्मिक यात्रा और शिक्षाएं भारतीय संत परंपरा की अमूल्य धरोहर हैं। उनकी साधारणता, गहन भक्ति और गुरु की महिमा के प्रति उनकी श्रद्धा ने उन्हें एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक व्यक्तित्व बना दिया है। उनकी शिक्षाएं और कार्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान हैं।
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