विधान परिषद में यह प्रस्ताव राज्य के संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल द्वारा प्रस्तुत किया गया था और इसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। मुंबई स्थानीय ट्रेन नेटवर्क के अधिकांश स्टेशनों के नाम अंग्रेजी में हैं और यह तर्क दिया गया है कि वे औपनिवेशिक विरासत को दर्शाते हैं। प्रस्ताव के अनुसार, करी रोड स्टेशन का नाम बदलकर लालबाग, सैंडहर्स्ट रोड का डोंगरी, मरीन लाइन्स का मुम्बादेवी और चारनी रोड का नाम गिरगांव रखा जाएगा। सैंडहर्स्ट रोड का नाम बदलना सेंट्रल लाइन और हार्बर लाइन दोनों पर लागू होगा। अन्य स्टेशनों में, कॉटन ग्रीन स्टेशन का नाम बदलकर कालाचौकी, डॉकर्यड रोड का मझगांव और किंग्स सर्कल का तीर्थंकर पार्श्वनाथ रखा जाएगा।
सांस्कृतिक पहचान को अपनाने की दिशा में एक कदम
मुंबई में इससे पहले भी कुछ प्रमुख स्टेशनों के नाम बदले गए थे, जैसे कि विक्टोरिया टर्मिनस को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस और एल्फिंस्टन रोड को प्रभादेवी किया गया था। यह परिवर्तन मुंबई के सार्वजनिक स्थलों के नामों में सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण नामों को अपनाने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने चत्रपति संभाजीनगर शहर के हवाई अड्डे का नाम बदलने की मांग उठाई, जिसे वर्तमान में औरंगाबाद हवाई अड्डा कहा जाता है। हालांकि, उपाध्यक्ष नीला गोऱ्हे ने उनकी मांग को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि संबंधित मंत्री बाद में उनके प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं।
कुछ स्थानीय संगठनों और इतिहासकारों ने नाम बदलने के इस कदम की आलोचना की है। खाकी हेरिटेज फाउंडेशन के संस्थापक, भारत गोठोस्कर ने कहा कि सभी नामों का औपनिवेशिक कनेक्शन नहीं है। उदाहरण के लिए, चारनी रोड का नाम ‘चरानी’ शब्द से लिया गया है, जो मराठी में चराई भूमि के लिए उपयोग होता है।
आगामी कदम
प्रस्ताव को अब केंद्रीय गृह मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय को भेजा जाएगा। मुंबई सेंट्रल स्टेशन का नाम बदलकर नाना जगन्नाथ शंकरशेठ स्टेशन करने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा गया है।
यह कदम मुंबई की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय भावनाओं को दर्शाता है और औपनिवेशिक अतीत को मिटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
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