हाथरस, उत्तर प्रदेश: विवादास्पद प्रवचनकर्ता भोले बाबा—जो अपने उपदेशों में खुद को भगवान से तुलना करते थे—इस बुधवार को जनता के सामने नहीं आए, क्योंकि हाथरस में हुई भगदड़ में मारे गए 121 लोगों के परिजन शोक में थे। इस भगदड़ का कारण बाबा के सुरक्षा कर्मियों द्वारा धक्का-मुक्की और एक “फिसलन भरी ढलान” को बताया गया है।
भोले बाबा, जिनका असली नाम सूरजपाल है, ने करीब दो दशक पहले पुलिस विभाग छोड़कर धार्मिक प्रवचनकर्ता का मार्ग अपनाया। उनके कई आश्रम हैं, जिनमें सबसे बड़ा मैनपुरी में है। बुधवार को यह आश्रम पुलिस से घिरा रहा, हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका कि बाबा अंदर थे या नहीं।
बाबा ने एक वीडियो में कहा, “मैं मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद और चर्च सब जगह जाता हूँ। जहाँ से बुलावा आता है, वहीं जाता हूँ। और अगर बुलावा नहीं आता, तो नहीं जाता।”
भगदड़ का कारण और FIR
मंगलवार को हुए इस आयोजन में, आयोजकों ने 80,000 लोगों के लिए अनुमति ली थी, लेकिन 2.5 लाख लोग पहुंचे। भीड़ के कारण GT रोड पर ट्रैफिक जाम हो गया और पुलिस को इसे साफ करने में मुश्किल हुई। जब बाबा 2 बजे अपनी गाड़ी में बाहर आए, तो भक्त मिट्टी उठाने लगे, जिसके कारण भगदड़ मच गई। बाबा के सेवक जो लाठी लिए खड़े थे, ने भाग रहे लोगों को रोका, जिससे कई महिलाएं, बच्चे और पुरुष कुचले गए।
विवाद और जांच
भोले बाबा के वकील ने बुधवार को दावा किया कि “कुछ असामाजिक तत्व” भगदड़ के पीछे थे और यह एक साजिश थी। उन्होंने कहा, “जब नारायण साकार हरि स्थल से चले गए, तो उनकी गाड़ियाँ चली गईं। हमारे स्वयंसेवक और भक्त साजिश के कारण समझ नहीं पाए कि क्या हो रहा है।”
अतीत के विवाद
भोले बाबा को 2000 में तब गिरफ्तार किया गया था जब उन्होंने अपनी गोद ली हुई बेटी को जीवित करने का दावा किया था। बच्ची की मृत्यु के बाद, बाबा ने दो दिनों तक उसका शव घर पर रखा। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद बच्ची का अंतिम संस्कार हुआ। बाबा के खिलाफ जादू-टोने और भ्रामक विज्ञापन अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ था।
हाथरस भगदड़ में हुई दुखद मौतों के बाद बाबा के खिलाफ जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। पुलिस ने आयोजनकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन बाबा का नाम FIR में नहीं है। घटना की पूरी जांच की जा रही है और प्रशासन ने इसके लिए एक विशेष टीम का गठन किया है।
यह भी पढ़े: महाराज के चरण सेवा से Animal के ‘चप्पल चाटने’ तक: विवादित दृश्य