पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक असुरक्षित: रक्षा मंत्री का बड़ा खुलासा

नेशनल असेंबली में बोलते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को 'चिंता और शर्मिंदगी का विषय' बताया।

Religious minorities are unsafe in Pakistan: Defense Minister makes a big revelation
Religious minorities are unsafe in Pakistan: Defense Minister makes a big revelation
WhatsApp Group Join Now

पाकिस्तानी मंत्री का खुलासा: ‘देश में कोई धार्मिक अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं’

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सोमवार को नेशनल असेंबली में बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि देश में धार्मिक अल्पसंख्यक “धर्म के नाम पर लक्षित हिंसा” का सामना कर रहे हैं और राज्य उन्हें सुरक्षा देने में विफल रहा है।

ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली के सत्र में कहा, “अल्पसंख्यकों को रोजाना मारा जा रहा है… पाकिस्तान में कोई भी धार्मिक अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है। यहां तक कि मुस्लिमों के छोटे-छोटे संप्रदाय भी सुरक्षित नहीं हैं।” डॉन न्यूज ने ख्वाजा के हवाले से यह बात कही।

चिंता और शर्मिंदगी का विषय

ख्वाजा आसिफ ने इन हमलों को “चिंता और शर्मिंदगी का विषय” बताते हुए अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए एक प्रस्ताव लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कई पीड़ितों का ब्लास्फेमी आरोपों से कोई संबंध नहीं था, बल्कि उन्हें व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण निशाना बनाया गया।

उन्होंने कहा, “हमें अपने अल्पसंख्यक भाइयों और बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उनके पास इस देश में रहने का उतना ही अधिकार है जितना बहुसंख्यक समुदाय का है। पाकिस्तान सभी पाकिस्तानियों का है, चाहे वे मुस्लिम हों, ईसाई, सिख, या किसी अन्य धर्म के हों। हमारा संविधान अल्पसंख्यकों को पूर्ण सुरक्षा की गारंटी देता है।”

हालांकि, इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रबल विरोध के कारण सरकार इस प्रस्ताव को पेश नहीं कर सकी।

ब्लास्फेमी कानून और अल्पसंख्यकों पर प्रभाव

पाकिस्तान में ब्लास्फेमी कानून दुनिया के सबसे कठोर कानूनों में से एक हैं और इनका धार्मिक अल्पसंख्यकों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ये कानून पाकिस्तान दंड संहिता में निहित हैं और विभिन्न प्रकार के ब्लास्फेमी के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करते हैं, जिसमें इस्लाम, पैगंबर मोहम्मद और कुरान का अपमान शामिल है।

धार्मिक अल्पसंख्यक, जिसमें ईसाई, हिंदू और सिख शामिल हैं, अक्सर इन कानूनों के तहत आरोपित और दोषी ठहराए जाते हैं। यहां तक कि अहमदी, जो मुस्लिमों के एक छोटे से संप्रदाय हैं, भी उत्पीड़न का सामना करते हैं क्योंकि पाकिस्तान के संविधान में उन्हें मुसलमान नहीं माना जाता है।

हाल ही में हुई घटनाएं

25 मई को, सरगोधा शहर में ब्लास्फेमी के संदेह पर एक ईसाई व्यक्ति को एक उग्र भीड़ ने पीटा और उसके घर को आग लगा दी।

यह उत्पीड़न केवल ब्लास्फेमी आरोपों तक सीमित नहीं है। सिंध क्षेत्र में हिंदू और सिख अल्पसंख्यक सामाजिक भेदभाव का सामना करते हैं और लड़कियों को अक्सर अपहरण कर जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर मुस्लिम पुरुषों से शादी कर दी जाती है।

ख्वाजा आसिफ का यह खुलासा पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की गंभीर स्थिति को दर्शाता है और यह सरकार और समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। धार्मिक सहिष्णुता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाना अब पाकिस्तान के लिए अनिवार्य हो गया है।

यह भी पढ़े: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की | आतंकी हमलों के बाद कड़े कदम उठाने के निर्देश

Team K.H.
Team K.H. एक न्यूज़ वेबसाइट का लेखक प्रोफ़ाइल है। इस टीम में कई प्रोफेशनल और अनुभवी पत्रकार और लेखक शामिल हैं, जो अपने विशेषज्ञता के क्षेत्र में लेखन करते हैं। यहाँ हम खबरों, समाचारों, विचारों और विश्लेषण को साझा करते हैं, जिससे पाठकों को सटीक और निष्पक्ष जानकारी प्राप्त होती है। Team K.H. का मिशन है समाज में जागरूकता और जानकारी को बढ़ावा देना और लोगों को विश्वसनीय और मान्य स्रोत से जानकारी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करना।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here