2026 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है। इस प्रक्रिया के तहत लोकसभा की 78 सीटों में इजाफा होगा। वर्तमान में लोकसभा में 543 सदस्य हैं और राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। इस नए परिसीमन से लोकसभा की कुल सीटें बढ़कर 621 हो जाएंगी। लेकिन क्या इससे NDA सरकार पर कोई असर पड़ेगा?
परिसीमन का महत्व और असर
क्या है परिसीमन?
परिसीमन का अर्थ है लोकसभा अथवा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया। अब तक 1952, 1963, 1973, और 2002 में परिसीमन आयोग गठित हो चुके हैं। नई परिसीमन प्रक्रिया 2026 से शुरू होगी और 2029 के लोकसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिलेगा।
दक्षिणी राज्यों को नुकसान की आशंका
दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या आधारित परिसीमन का विरोध किया है। उनके अनुसार, इस नए परिसीमन से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे हिंदीभाषी राज्यों को फायदा होगा जबकि तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को सीटों का नुकसान हो सकता है। जानकारों के अनुसार, तमिलनाडु में 9, केरल में 6, कर्नाटक में 2, आंध्र प्रदेश में 5, तेलंगाना में 2, ओडिशा में 3 और गुजरात में 6 सीटों का नुकसान हो सकता है।
सरकार का फ्रेमवर्क और संतुलन
सरकार ने समानुपातिक आधार पर परिसीमन की तरफ बढ़ने का निर्णय लिया है, जिसमें जनसांख्यिकी संतुलन बनाए रखने का फ्रेमवर्क तैयार हो रहा है। इसके तहत आबादी के आधार पर जितनी सीटें हिंदी पट्टी में बढ़ेंगी, उसी अनुपात में जनसंख्या नियंत्रण करने वाले राज्यों में भी सीटें बढ़ेंगी। उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश में 14 सीटें बढ़ने की संभावना है, तो तमिलनाडु-पुद्दुचेरी में 7 सीटें बढ़ाई जा सकती हैं।
अल्पसंख्यक बहुल सीटों का नया ड्रा
देश की 85 लोकसभा सीटों में अल्पसंख्यकों की आबादी 20% से 97% तक है। इन सीटों पर जनसांख्यिकी संतुलन कायम रखने के लिए परिसीमन के तहत लोकसभा क्षेत्रों को नए सिरे से ड्रा किया जा सकता है।
महिला आरक्षण और सीटों की संख्या
1977 से लोकसभा सीटों की संख्या को फ्रीज रखा गया है, लेकिन अब महिलाओं को 33% आरक्षण देने के बाद इसे डिफ्रीज करना लाजमी है। जनसंख्या वृद्धि दर में प्रभावी नियंत्रण करने वाले राज्यों ने चेतावनी दी है कि इस आधार पर उनकी सीटों में कमी का विरोध होगा।
क्या इस परिसीमन से BJP को फायदा मिलेगा?
नई संसद की लोकसभा में 888 सांसद बैठ सकते हैं। इस बात ने दक्षिण के राज्यों को चिंता में डाल रखा है। इन राज्यों को डर है कि 46 साल से रुका हुआ परिसीमन जनसंख्या को आधार मानकर हुआ, तो लोकसभा में हिंदीभाषी राज्यों के मुकाबले उनकी सीटें करीब आधी हो जाएंगी।
2021 की जनगणना और परिसीमन
लेकिन, अभी 2021 की जनगणना नहीं हुई है। सरकार परिसीमन से पहले जनगणना कराना चाहेगी। अगर 2021 की जनगणना नहीं होती है, तो वह 2011 की जनगणना को आधार मानकर परिसीमन करा सकती है, लेकिन इसमें भी पेंच है।
2026 के लोकसभा चुनाव में परिसीमन का बड़ा असर देखने को मिलेगा। इससे न केवल सीटों की संख्या में बदलाव होगा, बल्कि राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं। अब देखना होगा कि NDA सरकार इस नई परिसीमन प्रक्रिया के तहत किस तरह से अपने आप को तैयार करती है और क्या वे अपनी सत्ता को बरकरार रख पाते हैं या नहीं।
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